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संस्कृत पाठ 2


गम् (Go) लट् लकार (Present Tense)
पुरुष
एकवचन
द्विवचन
बहुवचन
प्रथम
गच्छति
मध्यम
गच्छसि
उत्तम
गच्छामि
पुरुष
एकवचन
दिव्वचन
बहुवचन
प्रथम
सः (पु॰)
सा (स्त्री॰)
तत् (न॰)
मध्यम
त्वम्
उत्तम
अहम्
गम् धातु – गम् एक धातु है। धातु को आप एक मूल शब्द की तरह समझिए। इस एक गम् शब्द से बहुत सारे शब्द बनाए जा सकते हैं। जैसे गच्छामिगच्छसिगच्छतिआच्छामि आदि। ये सब शब्द धातु के पहले उपसर्ग (Prefix) और प्रत्यय (Suffix) लगाने से बने हैं। इसी प्रकार हम दो या दो से अधिक धातुओं को मिलाकर और फिर उपसर्ग और प्रत्यय लगाकर अनेकोंअनेक शब्द बना सकते हैं। फिलहाल के लिए इस स्पष्टीकरण को समझें, धातु के ऊपर हम फिर विसतार से चर्चा करेंगे।

पुरुष
संस्कृत वाक्य बनाने से पहले मैं आपको उत्तम मध्यम और प्रथम पुरुष की जानकारी देना चाहता हूँ। 

1. प्रथम पुरुष
जब श्रोता के अतिरिक्त किसी अन्य पुरुष के लिए बात करी जा रही हो तो उसे प्रथम पुरुष कहते हैं। जैसे- वहवेउसनेयहयेइसनेआदि। जैसे – वह लडका जा रहा हैवह 2 चीज़े वहाँ पड़ी हैंउसन सब ने हाथ में फल लिए हुएँ हैं।
2. मध्यम पुरुष
जब बोलने वाला श्रोता के लिए बात कर रहा होउसे मध्यम पुरुष कहते हैं। जैसे – तूतुमतुझेतुम्हारा आदि। जैसे – तुम क्या करते होतुम कहाँ जाते होतुम्हारा क्या नाम हैतुम दोनो क्या कर रहे होतुम सब भागते हो।
3. उत्तम पुरुष
जब बोलने वाला अपने लिए बोल रहा हो उसे उत्तम पुरुष कहते है। जैसे – मैंहममुझेहमारा आदि। जैसे – मैं खाता हूँमैं वहाँ जाता हूँमैं सोता हूँहम सब लिखते हैंहम दोनो खुश हैं।
संस्कृत वाक्य
हमने पिछले पाठ मे सीखा था कि “अहम् गच्छामि” का मतलब मै जाता हूँ” है। आप ऊपर की तालिकाँओ (Tables) मै देखें कि दोनों (अहम्” और गच्छामि) ही शब्द उत्तम पुरुष कि श्रेणि में आते हैं (रंग से रंग मिलाइए जनाब)। उत्तम पुरुष को अग्रेंज़ी में First Person भी कहते हैं।
नीचे दिए गए वाक्यों को ध्यान से पढें।
1) अहं गच्छामि
2) त्वं गच्छसि
3) सः  गच्छति
4) सा गच्छति
5) तत् गच्छति
स्पष्टीकरण
1) अहं गच्छामि
मै जाता हूँ।
2) त्वं गच्छसि
त्वं अर्थात तू , तुम या आप। गच्छसि अर्थात तू जाता है। एक बार फिर ऊपर की तालिकाँओ में देखें कि दोनो (“ त्वं ” और “ गच्छसि ) ही मध्यम पुरुष की श्रेणि मे आते है। आप मध्यम पुरुष (Second Person) का प्रयोग अपने सम्मुख व्यक्ति के लिए करते है। स्वयं लिए “अहं का प्रयोग करें।
यह भी ध्यान रहे कि उत्तम पुरुष क्रिया (Verb) को उत्तम पुरुष सर्वनामसंज्ञा  (Pronoun/Noun) के साथ ही प्रयोग करें, यानि
गलत
सही
अहं गच्छसि
अहं गच्छामि
त्वं गच्छामि
त्वं गच्छसि
3) सः गच्छति
सः” (He) अर्थात वह या वो। “गच्छति” अर्थात “वह जाता है सः को पुलिङ्ग के लिए ही उपयोग किया जाता है। कोई लडका या आदमी जाता हो तो ही आप सः  गच्छति का उपयोग कर सकते हैं।
4) सा गच्छति
स्त्रीलिङ्ग के लिए सा (She) का प्रयोग किया जाता है। सा गच्छति अर्थात वह जाती है।
5) तत् गच्छति
नपुसंकलिङ्ग के लिए तत् (It) का उपयोग किया जाता है। तत् गच्छति।
 इस पाठ मे हमने केवल एकवचन पर ध्यान केन्द्रित किया। अगले पाठ मे हम द्विवचन और बहुवचन पर गौर करेंगें।

संस्कृत पाठ 1

प्रथम पाठ यानि की पहला पाठ। इस पाठ से आपका संस्कृत से पहली बार साक्षात्कार/भेंट होगी।

इस पाठ में मैं कुछ संस्कृत के वाक्य और उनका हिन्दी मे मतलब बताऊँगा। इन वाक्यों के माध्यम से आप संस्कृत के पहले शब्द सीखेगें। तो फिर बिना विल्मब किए शुरुवात करते हैं।
संस्कृत वाक्य
संस्कृत और उनके हिन्दी समतुल्य वाक्यों को गौर से देखें और पढें।
संस्कृत हिन्दी
१) अहं रुपा। मैं रुपा।
२) अहं चित्रा। मैं चित्रा।
३) अहं गच्छामि। मैं जाता हूँ।
४) अहं खादामि। मैं खाता हूँ।
५) गच्छामि। मैं जाता हूँ।
६) खादामि। मैं खाता हूँ।
७) अहं वदामि। मैं बोलता हूँ।
८) अहं पठामि। मैं पढता हूँ।
९) वदामि। मैं बोलता हूँ।
१०) पठामि। मैं पढता हूँ।
अहम् या अहं

अहम् या अहं संस्कृत में मैं के लिए इसतेमाल किया जाता है। इसलिए अहं रुपा” (वाक्य १) बन गया मैं रुपा औरअहं चित्रा” (वाक्य२) बन गयामैं चित्रा
गच्छामि

मैं जाता हूँ गच्छामि अथवा अहं गच्छामि अर्थात मैं जाता हूँ। अगर आप ध्यान से पढ रहें हैं तो आपने अवश्य सोचा होगा कि अगर गच्छामि का मतलब हैं तो अहं की जरुरत नहीं है। तो आपने बिलकुल सही सोचा है। अगर आप खाली गच्छामि बोलेगें तो भी उसका अर्थ मैं जाता हूँ ही होगा।पर एसा क्यूँ?– इसका खुलासा अगले पाठों में होगा।

खादामि
खादामि मतलब मैं खाता हूँ। जैसे गच्छामि अथवा अहं गच्छामि अर्थात मैं जाता हूँ वैसे ही खादामि अथवा अहं खादामि अर्थात मैं खाता हूँ। तो यहाँ भी अहं की ज़रुरत नहीं है।
वदामि
वदामि अथवा अहं वदामि अर्थात मैं बोलता हूँ।
पठामि
पठामि अथवा अहं पठामि अर्थात मैं पढता हूँ।